-::कल जब हम न होंगे::-
किसे सताओगे,
कल जब हम न होंगे?
किसे रुलाओगे,
कल जब हम न होंगे?
तक़दीर ने कुछ ऐसी इबारत लिखी,
कि;
जन्मों से भटक रहे यूँ ही सुकूँ की तलाश में...;
तमन्नाओं की तस्वीर न कभी सँवर सकी।
आज तो जी भर कर जी लेने दो,
बेशक़ जहर ही सही लेकिन ख़्वाबों के प्याले पी लेने दो।
चंद रोज़ ही में निकल लेंगे सफ़र को,
कौन जाने....कल हों-न-हों।
मुस्कुरा लो आज हमारी तड़प पर,
कैसे मुस्कुराओगे नीर भरे नयनों से तुम,,,;
कल जब हम न होंगे?
©RKPal
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