गौरघाट जलप्रपात
"प्रकृति के रहस्यों और खूबसूरती को समझना हाे तो वनांचल क्षेत्रों में जाइए"
यह कथन केवल कथन मात्र नहीं है। यह अनुभूति है उस परमसुख की जो प्रकृति प्रेमियों को इसके समीप जाकर प्राप्त होता है।
यूँ तो हमारे देश को प्रकृति ने अपने सभी रंगों से परिपूर्ण बनाया है। फिर भी जब कभी बात होती है प्रकृति को निकट से निहारने की तब हमें सर्वप्रथम कलकल करती नदियों की मधुर ध्वनि अपनी ओर खींच लाती है। जीवन की भागदौड़ से जब हम कुछ पल की शांति की खोज में होते हैं तब हमें जलप्रपातों की शीतल जलराशि अपनी ओर खीेंचते हैं और हम हृदय के करीब रहने वालों के संग चल पड़ते हैं किसी मनोरम स्थल की तलाश में। आज हम ऐसे ही एक जलप्रपात की कहानी लेकर आपके सामने उपस्थित हैं जो अपने क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।
छत्तीसगढ़ राज्य काे प्रकृति ने वनों और पहाड़ों के रूप में अपनी सबसे मूल्यवान खजाने का भरपूर प्यार दिया है। इन्ही वनों और पहाड़ों के मध्य राज्य के उत्तरी भाग में स्थित कोरिया जिले के सोनहत तहसील में मेण्ड्रा नामक गॉंव के समीप की पहाडि़यों से निकली है 'हसदो नदी'।
जी हाँ, हसदो नदी। वही हसदो जो राज्य के मैदानी क्षेत्रों में हसदेव के नाम से जानी जाती है। वही हसदो जो विद्युत उत्पादन और सिंचाई के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इस नदी पर यूँ तो कई ऐसे स्थल हैं जो सैलानियों के मन को बरबस ही आकृष्ट करते हैं। आज हम उन्ही अनेक में से एक स्थान "गौरघाट जलप्रपात" की चर्चा कर रहे हैं।
"गौरघाट जलप्रपात" कोरिया जिले के सोनहत तहसील में स्थित ग्राम पंचायत बसेर के ग्राम तर्रा से लगभग 6 किलोमीटर दूर सरई और तेंदू जैसे वृक्षों के सघन वनों के मध्य स्थित है। हसदो नदी पर स्थित प्रसिद्ध ''अमृतधारा जलप्रपात'' से लगभग 6 किलोमीटर पहले स्थित यह जलप्रपात में लगभग 60 फीट उँचाई से गिरती जलधारा पहली बार में ही प्रकृति प्रेमियों का मन मोह लेती है।
"गौरघाट जलप्रपात" इस जलप्रपात के नाम का संशोधित स्वरूप है। इस जलप्रपात का वास्तविक नाम "गौरघाघ" है। स्थानीय निवासियों में आज भी "गौरघाघ'' नाम ही प्रचलित है। ग्राम के बुजुर्ग बताते हैं कि, किसी समय इस स्थान पर ''गौर'' नामक जंगली पशुओं का जमघट होता था और झरने को 'घाघ या घाघी' के नाम से जाना जाता है। जिससे इस स्थान को "गौरघाघ'' के नाम से जाना जाता रहा है। कालांतर में शहरी परिवेश के संपर्क में आकर यह "गौरघाट जलप्रपात" कहा जाने लगा।
"गौरघाट जलप्रपात" के समीप स्थानीय ग्रामवासियों के सहयोग से भगवान भोलेनाथ का एक मंदिर निर्मित है। जहाँ श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। वर्तमान समय में यह मंदिर देख-रेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण अवस्था की ओर जा रहा है। यहीं जलप्रपात के ऊपरी एवं निचले भाग में हसदो नदी के तट पर लोग वनभोज के लिए आते हैं। वैसे तो सभी मौसम में यहाँ लोगों का रुझान देखने को मिलता है किंतु ठंड के मौसम में लोगों की विशेष भारी चहल-पहल देखने को मिलती है।
जंगलों में लगने वाली आग और वृक्षों की बेतहाशा कटाई ने नदी के प्रवाह की तीव्रता पर कुप्रभाव डाला है। कुछ ही वर्ष पूर्व जहाँ इस स्थान पर हसदो बारहमास अपनी कलकल ध्वनि से आनंदित करती थी, वहीं आज इसकी दशा अत्यंत दु:खदायी है। इसी क्रम से विनाशलीला होने पर वह दिन दूर नहीं जब ऊर्जा दायिनी हसदो नदी बरसाती नाले का स्वरूप धारण कर ले। ध्यान योग्य है कि यह वहीं नदी है जिसके तट पर इस जलप्रपात से कुछ किलोमीटर पहले कछार नामक ग्राम से समीप 'शिवगुफा' नामक ऐतिहासिक स्थल है।
वर्तमान समय में इस जलप्रपात तक पहुँचना कष्टप्रद है क्योंकि सड़क का अभाव भी इस मनोरम स्थल की कीर्ति को धूमिल करता है। आशा है वर्तमान जनप्रतिनिधियों से कि वे इसके प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ किए बिना ही, कांक्रीट के जंगलों से दूर रखकर इसे विकसित और संरक्षित करने का प्रयास करेंगे।
इस जलप्रपात के समीप ही लगभग 2 किलोमीटर पहले एक और मनोरम स्थल है। जिसे इस क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों ने पहचान कर नाम दिया है 'कुबेरघाघ'। दुर्गम होने के बाद भी यह अत्यंत मनोरम स्थल है। इस जलप्रपात से नीचे कुछ किलोमीटर की पैदल दूरी पर हसदो और बनिया नदी का संगम स्थल है। यह स्थल भी असीम आनंददयी है।
इन पर्यटन स्थलों में आने वाले सैलानियों से हमारा विनम्र अनुरोध है कि वे ऐसे स्थलों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें और वनों को आग से सुरक्षित रखें। जिससे हमारे और आपके ही समान आने वाली पीढ़ी भी प्रकृति की इन अनमोल धरोहरों का आनंद ले सके।
समय निकाल कर सपरिवार यहाँ अवश्य पधारें।
कैसे पहुँचें यहाँ तक?
@हवाई मार्ग से-
रायपुर छत्तीसगढ़ का स्वामी विवेकानंद निकटतम एयरपोर्ट है। जिसकी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से दूरी लगभग 315 किमी है।
@ट्रेन द्वारा-
यह बैकुण्ठपुर रोड रेलवे स्टेशन से 23 किलोमीटर और नगर रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
@सड़क के द्वारा-
वायुमार्ग से रायपुर तक पहुँचें या रेलमार्ग से निकटतम रेलवे स्टेशन तक। जलप्रपात तक पहुँचने के लिए अंतत: सड़क मार्ग ही एकमात्र विकल्प है। यह कोरिया जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 में स्थित ग्राम नगर से ग्राम तर्रा तक पक्की सड़क एवं वहाँ से कच्ची सड़क के द्वारा से होते हुए ग्राम नगर के वन नाका से लगभग 15 किलोमीटर भीतर स्वयं या किराए के वाहन से इस जल प्रपात तक पहुॅचा जा सकता है।
Google Location Help: https://goo.gl/maps/wHNYpXg5fxhGXNia9
Note :
इस आलेख/वीडियो/सूचना
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