1- विभिन्न प्रकार के बीज एकत्र कर छोटे थैलों में रखिए। इन थैलों को हर्बेरियम में लगाकर नाम लिखिए।
उत्तरः स्वयं हर्बेरियम फाइल तैयार करें।
2- परियेजना कार्यः−
किसी फार्म, पौधशाला अथवा बगीचे का भ्रमण कीजिए तथा निम्नलिखित की जानकारी प्राप्त कीजिएः−
क) बीज चयन का महत्व।
उत्तरः कृषि उत्पादन में बीज का महत्वपूर्ण योगदान है। एक ओर जहाँ "जैसा बोओगे, वैसा काटोगे" का मर्म किसानों की समझ में आना चाहिए इसलिए अच्छी किस्म के बीजों का उत्पादन जरूरी है। दूसरी ओर सर्वगुण युक्त उत्तम बीज की कमी रहती है । इसलिए बीज उत्पादन को उद्योग के रूप में अपनाकर कृषक जहां स्वयं के लिए उत्तम बीज की मांग की पूर्ति कर सकते हैं,वहीं इसे खेती के साथ साथ रोजगार स्वरूप अपनाकर अतिरिक्त आय का साधन बना सकते हैं तथा राज्य के कृषि उत्पादन को बढ़ाने में सहयोग दे सकते हैं।
संक्षेप में कहें तो बीज का चयन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि पौधा अपनी पूरी क्षमता तक विकसित होगा और सर्वोत्तम उपज देगा।
ख) सिंचार्इ की विधियॉः−
उत्तरः पौधों को उनकी उनकी वृद्धि और अस्तित्व सुनिश्चित करने तथा विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जल देने की प्रक्रिया को सिंचार्इ (irrigation) कहते हैं।
सिंचाई की विभिन्न विधियाँ हैं। जिनका वर्गीकरण निम्नानुसार हैः−
1. सतही या पृष्ठीय सिंचार्इ
i) बाढ़ विधि (Flooding)
ii) क्यारी विधि (Check basins method)
iii) रिंग विधि (Ring Method)
iv) सीमांत पट्टी विधि(Border Strip Method)
v) कूँड विधि (Furrow Method)
vi) कन्टूर विधि (Contour Method)
2. भूमिगत सिंचाई या अधोपृष्ठीय सिंचाई (Sub Surface Irrigation)
3. फव्वारा सिंचाई (Sprinkler Irrigation)
4. टपक सिंचाई (Drip Irrigation)
ग) अधिक शीत एवं अधिक गर्मी के मौसम का पौधों पर प्रभावः−
उत्तरः किसी पौधे के प्राकृतिक वातावरण में तापमान भिन्नता का उसके विकास और कार्य दोनों पर प्रभाव पड़ता है। पशु और पौधे दोनों के चयापचय के लिए बड़े पैमाने पर स्थिर वातावरण का रखरखाव महत्वपूर्ण है। पौधों के मामले में अन्य पहलू भी हैं जो भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे गतिहीन होते हैं और जरूरत पड़ने पर अधिक गर्मी या सूरज की रोशनी प्राप्त करने के लिए स्थानांतरित होने में असमर्थ होते हैं। इसलिए जहां भी बीज उतरता है और उगना शुरू करता है, यह संभव है कि उसे सूरज की रोशनी, पानी और मिट्टी से पोषक तत्वों जैसे संसाधनों के लिए आस-पास के अन्य पौधों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। यह प्रतिस्पर्धा पौधे के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है, इसलिए जीवित रहने के लिए आंतरिक वातावरण बनाए रखना भी आवश्यक है। यह लेख मुख्य रूप से पौधों पर अत्यधिक गर्म और ठंडे मौसम की स्थिति के प्रभाव पर प्रकाश डालता है।
अत्यधिक ठंडा मौसम पौधों में मौजूद पानी को जमा सकता है, जिससे अंततः पानी का विस्तार होता है, जिससे कोशिकाएं मर जाती हैं, जिससे पौधे भूरे हो जाते हैं या मर जाते हैं।
अत्यधिक गर्म मौसम के दौरान, पौधे अतिरिक्त पानी के वाष्पीकरण को रोकने के लिए अपने वायु छिद्रों को बंद करने का प्रयास करते हैं। यदि पौधे अपने छिद्र बंद नहीं कर पाते तो निर्जलीकरण के कारण पौधे मर जाते हैं।
घ) लगातार वर्षा का पौधों पर प्रभावः−
उत्तरः लगातार बारिश के कारण पौधों के पत्ते फल के साथ चिपके रहते हैं तथा धूप न लगने के कारण ऊल का रंग काला पड़ने से बागवानों की उसकी फसल के मंडी में उचित दाम नहीं मिल पाते। इतना ही नहीं स्कैब रोग सेब की फसल के बाद पौधों को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे पौधों के पत्ते समय से पहले ही पीले पड़कर झड़ने शुरू हो जाते हैं। फसल पर लगातार बारिश से मिट्टी में जलभराव हो जाता है। जलयुक्त मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे पौधों की जड़ों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे पौधे सांस नहीं ले पाते और मर जाते हैं।
ङ) उपयोग में आने वाले उर्वरक एवं खाद−
उत्तरः मिट्टी को उर्वर बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाला उर्वरक या खाद सीधे पौधों की गुणवत्ता और पोषक तत्वों पर प्रभाव डालता है। यद्यपि रासायनिक उर्वरक अधिक मात्रा में अधिक फसल पैदा करते हैं, लेकिन यह मिट्टी, मिट्टी के सूक्ष्मजीवों और फसल का उपभोग करने वाले मनुष्यों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। रासायनिक उर्वरकों की तुलना में प्राकृतिक उर्वरक और जैविक खाद पर्यावरण-अनुकूल विकल्प हैं।
3. कृषि में उपयोग आने वाली कुछ मशीनों के चित्र एकत्र कीजिए तथा इन्हे फाइल में लगाकर नाम एवं उपयोग लिखिए।
उत्तरः कृषि में उपयोग आने वाली कुछ मशीनों के चित्र नाम एवं उपयोग निम्नानुसार हैः−
क्रमांक |
मशीन का चित्र |
नाम |
उपयोग |
01 |
|
बैल चलित हल (Plow) |
भूमि की जुतार्इ के उपयोग में |
02 |
|
ट्रैक्टर (Tractors) |
खेतों की जुतार्इ के उपयोग में |
03 |
|
कल्टीवेटर (Cultivator) |
खेतों की जुतार्इ के उपयोग में |
04 |
|
सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) |
खेतों में गहरी जुतार्इ करने के उपयोग में |
05 |
|
रोटावेटर (Rotavator) |
खेतों की जुतार्इ के बाद मिट्टी को भुरभुरा बनाने के उपयोग में |
06 |
|
ट्रैक्टर चलित “लैंड लेवलर” (Land Leveler) |
खेतों की जुतार्इ के बाद खेत के समतलीकरण के उपयोग में |
07 |
|
पैडी ट्रांसप्लांटर (Paddy Transplanter) |
धान का रोपा लगाने के उपयोग में |
08 |
|
फावड़ा (Spade) |
निरार्इ−गुड़ार्इ तथा खोदने के उपयोग में |
09 |
|
वीड रिमूवर (Weed Remover) |
निरार्इ−गुड़ार्इ तथा खोदने के उपयोग में |
10 |
|
पावर वीडर (Power Weeder) |
निरार्इ−गुड़ार्इ तथा खोदने के उपयोग में |
11 |
|
रीपर मशीन (reaper machine) |
धान−गेंहूँ काटने के उपयोग में |
12 |
|
ब्रश कटर मशीन (Brush Cutter Machine) |
धान−गेंहूँ काटने के उपयोग में |
13 |
|
कंबाइन हार्वेस्टर (Combine Harvester Machine) |
धान−गेंहूँ काटने के उपयोग में |
14 |
|
थ्रेसिंग मशीन (Threshing machine) |
धान−गेंहूँ इत्यादि फसल में बीज को भूसे से अलग करने के उपयोग में |
15 |
स्प्रेयर |
फसल में दवा इत्यादि के छिड़काव में |
|
16 |
|
फव्वारा सिंचाई प्रणाली
|
फसल में सिंचार्इ के उपयोग में |
17 |
|
टपक सिंचाई प्रणाली
|
फसल में सिंचार्इ के उपयोग में |
18 |
|
सिंचाई पम्प (Flood Irrigation System Pump)
|
फसल में सिंचार्इ के उपयोग में |
--::00::--