तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
कैसे कहूँ कि कौन बेहतर है?
आँखों में तुम्हारी सूरत,
दिल में तुम्हारी मूरत...!
जीवन में तुम्हारी यादों का पहरा हर पल...!
तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
कैसे कहूँ कि कौन बेहतर है?
जाने कब-कैसे तुमसे मोहब्बत हो चली और,
तुम्हे चाहते जाने कब,
तुम्हारी यादों ने दिल में बसेरा कर लिया...?
तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
कैसे कहूँ कि कौन बेहतर है?
तुम्हारी यादें ही तो हैं,
जिनसे बेझिझक सब कह जाता हूँ।
क्योंकि जब तुम सामने होती हो,
कहाँ तुमसे नजरें भी मिला पाता हूँ।
तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
कैसे कहूँ कि कौन बेहतर है?
सोचता हूँ कि तुमसे दूर रहकर,
जिंदगी तो बीत जाएगी लेकिन...!
तुम्हारी यादों का क्या...?
कैसे इनसे बच पाऊँगा...?
कैसे इस दिल को समझाऊँगा...?
तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
कैसे कहूँ कि कौन बेहतर है?
तुम तो पल भर में ही,
नजरों से ओझल हो जाती हो।
बस फिर क्या-
छोड़ जाती हो बिछड़न की कसक इस दिल में।
तुम्हारी यादें ही तो हैं जो,
हर पल साथ निभाती हैं।
तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
कैसे कहूँ कि कौन बेहतर है?
यादें...तुम्हारी यादें,,,!
जानता हूँ कि तुम मुझसे दूर जाओगी।
लेकिन तुम्हारी यादों से अब तो,
जनम भर का रिश्ता बन गया।
इनसे कोई अलग ना कर पाएगा।
तुम,,,और तुम्हारी यादें...!
कैसे कहूँ कि कौन बेहतर है?
©RKP