पाठ-2
ल्हासा की ओर
प्रश्न-अभ्यास
1- थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर:- थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्योंकि तिब्बत में यात्रियों के ठहरने के लिए एक जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थी। इसलिए वहाँ जान पहचान वालों को ही ठहरने का उचित जगह मिलती थी। लेखक के मित्र सुमति की यहाँ के लोगों से अच्छी जान- पहचान थी। इसलिए भिखमंगे के वेश में होने के बाद भी लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला। जबकि दूसरी यात्रा के दौरान पाँच साल व्यतीत हो चुके थे। लोगों की मनोवृत्ति बदल चुकी थी और वहाँ के लोग शाम के समय छ्डूं पीकर बहुत कम होश में रहते थे। इसलिए भद्र वेश होने पर भी उन्हें गाँव के एक सबसे गरीब झोंपड़े में ठहरने का स्थान मिला और उस समय लेखक का मित्र बौद्ध भिक्षु सुमति भी साथ न था।
2. उस समय के तिब्बत में हथियार का क़ानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर:- उस समय के तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे। साथ ही, वहाँ अनेक निर्जन स्थान भी थे, जहाँ न पुलिस का प्रबंध था, न खुफिया बिभाग का। वहाँ डाकू किसी को भी आसानी से मार सकते थे। इसीलिए यात्रियों को हत्या और लूटमार का भय बना रहता था।
3. लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गए थे?
उत्तर:- लङ्कोर के मार्ग में लेखक का घोड़ा थककर धीमा चलने लगा था और लेखक रास्ता भूलकर गलत मार्ग पर चले गये जहाँ से लेखक को लौटकर वापस आना पड़ा। इसलिए वे अपने साथियों से पिछड़कर रास्ता भटक गए।
4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर:- लेखक जानता था कि शेकर विहार में सुमति के यजमान रहते हैं। उनके पास जाकर वह बहुत समय लगा देता क्योंकि सुमति उनके पास जाकर बोध गया के गंडों के नाम पर किसी भी कपड़े का गंडां देकर दक्षिणा वसूलता था इसलिए मना कर दिया और लेखक को एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ता। दूसरी बार लेखक ने रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि लेखक मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों को पढ़ने में मग्न थे।
5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:- अपनी तिब्बत-यात्रा के दौरान लेखक को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी। इसलिए उन्हें भिखारी के रुप में यात्रा करना पड़ी। डाँड़ा, थोङ्ला जैसी खतरनाक जगह को पार करना पड़ा। लङ्कोर का रास्ता तय करते समय रास्ता भटक जाने के कारण वे साथियों से बिछड़ गए थे। बहुत तेज धूप ने भी उन्हे काफी परेशान किया।
6. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर बताइए की उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर:- प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर पता चलता है कि उस समय तिब्बती समाज में छुआछूत, जाती-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी । औरतें परदा नहीं करती थीं। कोई अपरिचित व्यक्ति भी किसी के घर में अन्दर तक जा सकता था परन्तु भिखमंगों को लोग चोरी के डर से घर में घुसने नही देते थे। उस समय तिब्बती की जमीन जागरिदारों में बंटी थी जिसका ज्यादातर हिस्सा मठों के हाथ में होता था।
7. 'मैं अब पुस्तकों के भीतर था।' नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन -सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है?
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें हैं थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर:- (क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
रचना और अभिव्यक्ति
8. सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर:- सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा उन्हे तिब्बत का अच्छा ज्ञान था। सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है। वे व्यवहार कुशल तथा मिलनसार व्यक्ति थे इस कारण उनके कई मित्र थे। वह कई बार तिब्बत आ चुके थे और वहाँ के हर गाँव से पूरी तरह परिचित थे। वे आतिथ्य सत्कार में कुशल थे।
9. 'हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।' - उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर:- हम जब किसी से मिलते हैं तो सामन्यतः वेशभूषा से उसकी पहचान करते हैं। हम अच्छा पहनावा देखकर किसी को अपनाते हैं तो गंदे कपड़े देखकर उसे दुत्कारते हैं। यह बात अनुचित है कि हम अपना आचार व्यवहार किसी को उसकी बेशभूषा के आधार पर तय करें। हम अच्छा पहनवा देखकर किसी को अपनाते है और गंदे कपड़े देखकर उसे दुत्कारते हैं। लेखक भिखमंगों के वेश में यात्रा कर रहा था। इसलिए उसे यह अपेक्षा नहीं थी कि शेकर विहार का भिक्षु उसे सम्मानपूर्वक अपनाएगा।
10. यात्रा वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द -चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:- तिब्बत एक पहाड़ी प्रदेश है जिससे यहाँ बर्फ़ पड़ती है। तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित है। तिब्बत की सीमाएँ भारत और नेपाल से लगती हैं। इसकी सीमा हिमालय पर्वत से शुरू होती है। डाँड़े के ऊपर से समुद्र तल की गहराई लगभग 17-18 हज़ार फीट है। पूरब से पश्चिम की ओर हिमालय के हज़ारों श्वेत शिखर दिखते हैं। यहाँ एक ओर हिमालय की ऊँची चोटी है तो दूसरी ओर नँगे पहाड़ है। यहाँ की जलवायु भी अनुपम है। यहाँ एक ओर हजारों बरफ़ से ढके श्वेत शिखर है, दूसरी और विशाल मैदान भी हज़ारों पहाड़ो से घिरे हैं। यहाँ की जलवायु में सूर्य की ओर मुँह करके चलने पर माथा जलता है जबकि कंधा और पीठ बर्फकी तरह ठंडे हो जाते है। यह स्थिति हमारे देश से पूरी तरह भिन्न है।
11. आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर:- विद्यार्थी स्वयं के अनुभव से लिखें।
12. यात्रा वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है ?
प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक में दो बैलों की कथा – कहानी, उपभोक्तावाद की संस्कृति – निबंध, साँवले सपनों की याद – संस्मरण, नाना साहब की पुत्री देवी – रिपोर्ताज, मैना को भस्म कर दिया गया, प्रेमचंद के फटे जूते – व्यंग्य, मेरे बचपन के दिन – संस्मरण, एक कुत्ता और एक मैना – निबंध इत्यादि गद्य की विधाएँ हैं।
यह पाठ अन्य विधाओं से इसलिए अलग है क्योंकि यह यात्रा वृत्तांत’ है जिसमें लेखक द्वारा तिब्बत की यात्रा का वर्णन किया गया है। यह उसकी यात्रा का अनुभव है न कि मानव चरित्र का चित्रण जैसा कि अन्य विधाओं में होता है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 13. किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे-
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए-
‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर- 1. यह समझ में ही नहीं अ हर था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।
2. कभी लगता था कि घोड़ा आगे जा रहा है, कभी लगता था पीछे जा रहा है।
प्रश्न 14. ऐसे शब्द जो किसी ‘अंचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ में से निम्न्लिखित आंचलिक शब्द आए हैं-
भरिया, खोटी, चोड़ी, राहदारी, फरी-कलिपोर, गॉव-गिराँव, गंडा, कुची-कुची, भीटा, थुक्पा, खोटी, राहदारी आदि।
प्रश्न 15. पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर- इस पाठ में प्रयुक्त विशेषण शब्द निम्नलिखित हैं- मुख्य, व्यापारिक, सैनिक, फ़ौजी, चीनी, बहुत-से, परित्यक्त, टोटीदार, सारा, दोनों, आखिरी, अच्छी, भद्र, गरीब, विकट, निर्जन, हजारों, श्वेत, बिल्कुल नंगे, सर्वोच्च, रंग-बिरंगे, थोड़ी, गरमागरम, विशाल, छोटी-सी, कितने-ही, पतली-पतली चिरी बत्तियाँ।
पाठेतर-सक्रियता
· यदि आज के समय में तिब्बत की यात्रा की जाय तो यह यात्रा राहुल जी की यात्रा से पूरी तरह भिन्न होगी।
उत्तर- 1930 में तिब्बत में आना-जाना आसान न था। ऐसा राजनैतिक कारणों से था। आज उचित पासपोर्ट के साथ आसानी से यह यात्रा की जा सकती है। अब भिखमंगों के वेश में यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है। अब यात्रा के लिए विभिन्न साधनों का प्रयोग किया जा सकता है।
· क्या आपके किसी परिचित को घुमक्कड़ी/यायावरी का शौक है? उसके इस शौक का उसकी पढ़ाई/काम आदि पर क्या प्रभाव पड़ता होगा, लिखें।
उत्तर:- विद्यार्थी स्वयं के अनुभव से लिखें।
· अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आम दिनों में समुद्र किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे जुड़े दूसरे कारोबारों में लगे हैं। दिसंबर 2004 को सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफ़ानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण भी बन सकती है।
प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलट कर रख देगी, कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिजाज को उसका कोप कह लें या कुछ और, मगर यह अबूझ पहेली अकसर हमारे विश्वास के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं। एशिया के एक बड़े हिस्से में आने वाले उस भूकंप ने कई द्वीपों को इधर-उधर खिसकाकर एशिया का नक्शा ही बदल डाला। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजें इंसान से वापस ले ली हैं जिसकी कसक अभी तक है।
दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सकें और रोशनी को बचाए रखने के लिए जतन करें। इस जतन से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, उसे निराशा के चश्मे से न देखें। ऐसे समय में भी मेघना, अरुण और मैगी जैसे बच्चे हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते हैं। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। इंडोनेशिया की रिजा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी कि एक विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आई समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने। दस मीटर से ज्यादा ऊँची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थीं, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुईं।
जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवती हार नहीं मानती।
1) कौन-सी आपदा को सुनामी कहा जाता है?
उत्तर- समुद्र में होने वाली आंतरिक हलचलों के कारण समुद्र में आने वाली भयानक तूफ़ानी लहरों को सुनामी कहा जाता है। यह आसपास के इलाकों को नष्ट कर देता है।
2) ‘दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दुख जीवन को माँजता बनाता है। अर्थात् दुख आने पर व्यक्ति उससे निपटने के उपाय सोचता है, संघर्ष करते हुए उनसे छुटकारा पाता है। भविष्य में इससे बचने की तैयारी कर लेता है और नई आशा, उमंग और उल्लास के साथ जीवन शुरू करता है।
3) मैगी, मेघना और अरुण ने सुनामी जैसी आपदा का सामना किस प्रकार किया?
उत्तर- मेघना
और अरुण सुनामी में फँस गए थे, वे दो दिन तक समुद्र में तैरते रहे। कई बार वे समुद्री
जीवों का शिकार
होने से बचे और
अंत में किनारे लगकर बच गए। मैगी ने समुद्र में उठ रही दस मीटर ऊँची लहरों के बीच अपना बेड़ा
उतार दिया। उसमें अपने परिजनों को बिठाकर किनारे आने के लिए संघर्ष करने लगी। उसके बेड़े
में 41 लोग और भी थे।
4) प्रस्तुत गद्यांश में ‘दृढ़ निश्चय’ और ‘महत्त्व’ के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है?
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश में ‘दृढ़ निश्चय’ और ‘महत्त्व’ के लिए बुलंद इरादे, अहमियत शब्दों का प्रयोग हुआ है।
5) इस गद्यांश के लिए शीर्षक ‘नाराज़ समुद्र’ हो सकती है। आप कोई अन्य शीर्षक दीजिए।
उत्तर- ‘सुनामी का कहर’ अथवा ‘प्रकृति का प्रकोप’ उक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
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©RKP
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