"मैं"
रब ने बड़ी फुरसत से बनाया है मुझे।
हर कमी-हर गम से सजाया है मुझे।।
छोटी-छोटी चाहतें थीं।
और खुशियों की कतरन मैं तलाशता रहा।
कमियों को दूर करने अपनी।
उम्र भर दौड़ता-भागता रहा।
लाख उपाय भी किस्मत मेरी सँवार ना सकी।
कोई तदबीर तकदीर का लिखा बिगाड़ ना सकी।
लकीरें मिट गई इन हाथों की।
खनक भी बातों की चुपके से खोती रही।
करम ही कुछ ऐसे रहे होंगे।
कि जिंदगी के शोर-गुल में भी किस्मत मेरी यूँ सोती रही।
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