कक्षा-8
विषय-विज्ञान
अध्याय-2
सूक्ष्मजीव: मित्र एवं शत्रु
=====================================
Q.1. हमारे जीवन में उपयोगी सूक्ष्म जीवों के बारे में 10 पंक्तियाँ लिखिए।
Ans. सूक्ष्मजीव नग्न आंखों के माध्यम से देखने के लिए बहुत छोटे हैं। जबकि, वे पौधों और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
सूक्ष्म जीवों का महत्व:
- ये बेकिंग में, अचार और अन्य खाद्य बनाने की प्रक्रियाओं में उपयोग किए जाते हैं।
- किण्वन प्रक्रिया यीस्ट द्वारा की जाती है, जो शराब और ब्रैड की तैयारी में उपयोग किया जाता है।
- लैक्टोबैसिलस जीवाणु दही के जमने में सहयता करता है।
- प्रदूषण कम करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है।
- उनका उपयोग वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- कई दवाइयाँ और एंटीबायोटिक्स तैयार करने में भी सूक्ष्म जीवों उपयोगी होते हैं।
- कुछ रोगाणुओं का उपयोग सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के जैविक उपचार में भी किया जाता है।
Q.2. क्या सूक्ष्मजीव बिना यंत्र की सहायता से देखे जा सकते हैं? यदि नहीं, तो वे कैसे देखे जा सकते हैं?
Ans. नहीं, सूक्ष्म जीवों को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है क्योंकि वे बहुत छोटे होते हैं। इन्हें सूक्ष्मदर्शी की मदद से देखा जा सकता है।
Ans. सूक्ष्मजीवों को चार प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया जाता है: 1. बैक्टीरिया, 2. कवक, 3. प्रोटोजोआ और 4. कुछ शैवाल।
Ans. मिट्टी में मौजूद राइजोबियम और कुछ नीले-हरे शैवाल जैसे बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में स्थिरीकरण कर सकते हैं। बाद में इन्हें नाइट्रोजन यौगिकों में परिवर्तित करके पौधों द्वारा प्रोटीन और अन्य यौगिकों के संश्लेषण के लिए उपयोग किए जाते हैं।
Ans. सूक्ष्मजीव कई मायनों में हानिकारक भी होते हैं। सूक्ष्म जीवों में से कुछ मानव, पौधों और जानवरों में बीमारियों का कारण बनते हैं। ऐसे रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को रोग जनक कहा जाता है। कुछ सूक्ष्म जीव भोजन, कपड़े और चमड़े को खराब करते हैं। मनुष्यों को प्रभावित करने वाले कुछ सामान्य रोग हैंजा, सर्दी-जुकाम, चिकन पॉक्स, तपेदिक आदि हैं। कई सूक्ष्मजीव न केवल मनुष्यों में बल्कि पशुओं में भी बीमारियों का कारण बनते हैं। उदाहरण के लिए, एन्थ्रेक्स एक खतरनाक मानव और मवेशी रोग है जो एक जीवाणु के कारण होता है। पौधों में सूक्ष्मजीवों द्वारा पैदा होने वाली बीमारियाँ फसलों जैसे गेहूं, चावल, आलू, गन्ना, संतरा, सेब आदि की उपज को कम करते हैं।
Ans. वे दवाएँ जो सूक्ष्म जीवों के द्वारा होने
वाले रोगों के विकास रोकती हैं अथवा समाप्त करती हैं, प्रतिजैविक कहलाती
हैं। उदाहरण के लिए: स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन, आदि।
प्रतिजैविक लेते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए:-
a) किसी योग्य डॉक्टर की सलाह पर ही प्रतिजैविक लेनी चाहिए।
b) डॉक्टर द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम को पूरा करना चाहिए।
c)जरूरत न होने या गलत खुराक में प्रतिजैविक लेने से बचना चाहिए।
Ans. छोटे जीव जिन्हें हम अपनी नग्न आँखों द्वारा नहीं देख सकते, सूक्ष्मजीवी कहलाते हैं। हॉलैंड के ऐन्टोनी वॉन ल्यूवेन हॉक (1632—1723) ने सर्वप्रथम जीवाणु को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा था। सूक्ष्मदर्शी के विकास एवं सुधर द्वारा सूक्ष्म जीवाणुओं का अध्ययन अध्कि तीव्र तथा सरल हो गया। लुइस पाश्चर ने पास्चुरीकरण में ताप द्वारा सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट किया तथा यह घोषणा की कि अध्किांश रोग सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा होते हैं। सूक्ष्म जीवाणु हमारे लिए उपयोगी अथवा हानिकारक हो सकते हैं। अतः सूक्ष्म जीवाणु अत्यंत छोटे जीव हैं जो केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखे जा सकते हैं। उन्हें रोगाणु भी कहते हैं। सूक्ष्म जीवाणुओं के अध्ययन को सूक्ष्म—जीव विज्ञान कहते हैं तथा इसका अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को जीव विज्ञानी कहते हैं। सूक्ष्म जीवों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:
- सूक्ष्म जीवाणुओं में उच्च अनुवूफलता की क्षमता होती है।
- ये ताप तथा शीत की चरम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं।
- ये हर जगह विद्यमान रहते हैं—वायु में, जल में, मृदा में, दलदली भूमि में, मरुस्थलों में, ध्रुवों पर तथा जीवित प्राणियों के शरीर में।
- ये मृत तथा सड़े—गले जीवों पर भी निवास करते हैं।
- वे स्वयं को एक कठोर आवरण से ढके रहते हैं जिसे पुटी या कृमिकोष कहते हैं जिससे ये प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सुरक्षित रहने में सक्षम हो जाते हैं।
- सूक्ष्म जीवाणु संक्रमित व्यक्ति के अवशिष्ट पदार्थ में भी विद्यमान हो सकते हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर:-
Q.3. वह रोग जो एक प्रोटोजोआ प्राणी द्वारा उत्पन्न होता है और कीट द्वारा फैलता है:
Q. जीवाणुओं से कौन-कौन से लाभ हैं?
Ans. जीवाणुओं से लाभ:-
- नाइट्रोजन स्थिर करने वाले जीवाणु फ़लीदार पौधें की जड़ों में पाए जाते हैं, जो वातावरण में उपस्थित नाइट्रोजन को उपयोगी नाइट्रोजनी यौगिकों में परिवर्तित कर देते हैं।
- जीवाणु मृत तथा सड़े-गले ऑर्गेनिक पदार्थों का विघटन करके प्रकृतिक सफाईकर्मी का कार्य करते हैं।
- लेक्टोबैसीलस जीवाणु दूध से दही बनाने में सहायता करते हैं।
- ये फ़लों के रसों से अभिव्रिफया द्वारा सिरका तथा शराब आदि का निर्माण भी करते हैं।
- जीवाणुओं का प्रयोग एण्टीबायोटिक बनाने के लिए भी किया जाता है।
- चमड़ा व्यापार में भी सहायक होते हैं।
- गायों तथा भैंसों की आँतों में रहकर सेलुलोस को पचाने में सहायता प्रदान करते हैं।
- अवायवीय जीवाणु, जैसे अवशिष्ट से जैविक गैस बनाने में सहायक होते हैं।
